कक्षा प्रबंधन

एक सक्रिय कक्षा का निर्माण निश्चित रूप से काफी श्रमसाध्य है, लेकिन उसका प्रबंधन तो और भी कठिन है। लेकिन एक बार यह आपकी दिनचर्या का हिस्सा बन जाए, इसके बाद आप एक खुशमिजाज़ शिक्षक होंगे और बच्चे भी प्रसन्न और सृजनशील होंगे। लेकिन ऐसी स्थिति तक पहुंचना थोड़ा मुश्किल और तनावयुक्त हो सकता है।
अगर आपके पास बहुत-सी तरह-तरह की गतिविधियां हों और आप उन्हें रोज़ करवाएं तो आप पाएंगे कि बच्चों को पढ़ाना कितना आसान हो गया है। आप बच्चों को छोटे-छोटे समूहों में बांटकर उनके साथ काम कर सकेंगे।
हर बच्चे को आपके समय व ध्यान की ज़रूरत होती है। कुछ बच्चों को अंकों के संबंध में आपकी मदद की ज़रूरत पड़ती है तो कुछ को भाषा को लेकर आपके विशेष ध्यान की। आप इन सभी बच्चों की तभी मदद कर सकते हैं जब बाकी कक्षा अलग-अलग कामों में व्यस्त रहे।
इसे हम इस तरह समझ सकते हैं। अगर आप क्लास में एक गतिविधि आयोजित करते हैं जो दो हफ्ते बाद दुबारा करवाई जाएगी, तो बच्चों का प्रबंधन काफी मुश्किल हो जाएगा। उदाहरण के लिए अगर आप यह तय करते हैं कि आज सभी बच्चे क्ले एरिया में ही काम करेंगे तो मिट्टी के लिए सभी 30 से 40 बच्चों में धक्का-मुक्की होने लगेगी। या मान लीजिए आप किसी दिन तय करते हैं कि आज बच्चे कहानियों-कविताओं की पुस्तकें पढेंगे। ऐसे में अगर आपकी कक्षा की लाइब्रेरी में केवल 15 पुस्तकें हुईं तो बाकी बच्चे क्या करेंगे? किताबें पाने के चक्कर में कक्षा में इतनी अफरा-तफरी मच जाएगी कि आप ‘लर्निंग क्लास रूम’ के विचार को ही अलविदा कहने का मन बना लें।

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